Saturday, June 16, 2012

लॉकेट

खास तुम्हारे लिये गुलज़ार साब से लिखवायी है ;-)
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मुझको इतने से काम पे रख लो

जब भी सीने पे झूलता लॉकेट
उल्टा हो जाए तो मैं हाथों से
सीधा करता रहूँ उसको

मुझको इतने से काम पे रख लो

जब भी आवेज़ा उलझे बालों में
मुस्कुराके बस इतना सा कह दो
आह ! चुभता है ये अलग कर दो

मुझको इतने से काम पे रख लो

जब ग़रारे में पाँव फँस जाए
या दुपट्टा किवाड़ में अटके
एक नज़र देख लो तो काफ़ी है

मुझको इतने से काम पे रख लो

'प्लीज़' कह दो तो अच्छा है
लेकिन मुस्कुराने की शर्त पक्की है
मुस्कुराहट मुआवज़ा है मेरा

मुझको इतने से काम पे रख लो

-- गुलज़ार